महिला जजों को जान से मारने के लिए खोज रहे जेल से छूटे कैदी, छिपने को मजबूर

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां महिलाओं और उनके अधिकारों को दबाए जाने को लेकर लगातार खबरें आ रही हैं। इस बीच, अफगानिस्तान में महिलाओं से जुड़ी एक और बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां हत्याओं और अन्य अपराधों के लिए कैदियों को सजा सुनाने वाली महिला जजों की जान खतरे में आ गई है। अफगानिस्तान में जेल से छूटे कैदी उन महिला जजों को जान से मारने के लिए खोज रहे हैं जिन्होंने उन्हें सजा सुनाई थी।

दरअसल, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और वहां उनकी सरकार बनने के बाद यहां तमाम कैदियों को जेल से रिहा कर दिया गया है। इनमें वे तालिबान लड़ाके भी हैं, जिन्हें महिला जजों ने सजा दी थी। इनके जेल से छूटने के बाद महिला जजों को चिंता सताने लगी है कि कहीं वो इन्हें अपना शिकार न बना लें। जेल से छूटे कैदी अफगानिस्तान की महिला जजों को खोज रहे हैं। यूरोवीकली के मुताबिक, अब तक 220 से अधिक अफ़ग़ानिस्तान की महिला जज तालिबान के क़ब्ज़े के बाद सज़ा मिलने के डर की वजह से छिपी हुई हैं। कई महिला जज जिन्होंने अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को लेकर आवाज उठाई है वह फिलहाल छिपी रहने को मजबूर हैं।

ब्रिटेन स्थित एक मीडिया से बात करते हुए एक पूर्व महिला जज ने बताया कि उसे कैसे अफगानिस्तान स् भागना पड़ा है। मासूमा, जिसका नाम बदल दिया गया है, उन्होंने अपने करियर के दौरान सैकड़ों लोगों को दोषी ठहराया है। इनमें से कई पुरुषों को हत्या, यातना और दुष्कर्म के मामलों में दोषी ठहराकर सजा सुनाई गई है। यूरो वीकली की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब से तालिबान ने सत्ता संभाली है और अपराधियों को रिहा किया गया है। मासूमा और कई महिला जजों को मौत की धमकी मिल रही है। यूरो वीकली के मुताबिक, तालिबान के कब्जे के बाद से मासूमा और उनके जैसी कई महिला जजों को जेल से छूटे कैदी जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।

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